तुम स्वयम बच कर
चलो, चटकी हुई दीवार है
कोन जाने कब
गिरे, कमजोर ही आधार है l
जाने कितनी सूरतें आती हैं, ख्वाबों
में मेरे,
ऐक ही तस्वीर जिसमें, आप का दीदार है l
क्यों बढ़ावा दे रहे आतंक को हर बार तुम,
सबको जाना ऐक दिन,
नश्वर यही संसार है l
जो भी आया है धरा पर,जायगा वह ऐक
दिन,
रोशन करो ये चन्द रिश्ते, आपसी
व्यवहार है l
चन्द लम्हों की है खुशबू, बाद में झरना इन्हें,
मत उगाओ फूल ऐसे, संग
जिनके खार है l
No comments:
Post a Comment