Tuesday, 17 December 2019

बच कर चलो,

तुम स्वयम बच कर चलो, चटकी हुई दीवार है
कोन जाने  कब  गिरे, कमजोर  ही आधार है l
              जाने कितनी सूरतें आती हैं, ख्वाबों में मेरे,
              ऐक ही तस्वीर जिसमें, आप का  दीदार है l
क्यों बढ़ावा दे  रहे आतंक को हर बार तुम,
सबको जाना ऐक दिन, नश्वर यही संसार है l
             जो भी आया है धरा पर,जायगा वह ऐक दिन,
             रोशन करो ये चन्द रिश्ते, आपसी व्यवहार है l 
चन्द लम्हों  की है खुशबू, बाद में झरना इन्हें,
मत उगाओ फूल  ऐसे, संग  जिनके खार है l                                         

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