जिन्हें नहीं परवाह
देश की,जिन्हें नहीं दरकार मुल्क की,
मेरी नेक सलाह यही
है,उनसे हरदम दूरी रखना |
जिनकी सोच संकुचित ही है,पीर न जाने वे औरों की,
उनसे क्या उम्मीद करें हम,बस उनसे तो बच कर रहना
जिनका दामन पाक नहीं
है,जिनकी नियति साफ़ नहीं है,
उनसे बचना ही अच्छा
है, उनसे तुम जज्वात न कहना |
कितने भी समाज सेवी
हों, यदि उनके हैं काले धन्धे,
वे निश्चित विध्वंस
करेंगे, उनकी तुम परवाह न करना |
कितना ही मीठा
बोलें वे, यदि वे अन्दर से हैं काले,
उनके कुछ सिध्दान्त
नहीं हैं,समय मिले तो उन्हें परखना
सदा स्वार्थ में जो
डूबें हों, मीठा जहर घोलते हरदम,
आस्तीन में साँप
पालते, उनको सदा उजागर करना |
कर्जा ले ले कर
बेंकों से, देश बेचने की जो सोचें,
उनको कड़ी सजा
दिलवाएं, कमजर्फो से बात न करना |
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