Sunday, 11 December 2022

 जो  चाहो   ऐकाग्रता,  इच्छा  शक्ति  प्रधान,

मन प्रसन्न यदि आपका, सुख दुख ऐक समान l

पर निन्दा  से  जो बचा, रक्खा जिसने मौन,

तन मन जिसका शुद्ध है, उससे बढ़ कर कौन l

     चोरी,असत विचार को, सभी मानते पाप,

     सत्य आचरण श्रेष्ठ है, नहीं रहे  संताप l

पाप पुण्य के गणित को, समझ सका है कौन,

मन चाही  है  व्यवस्था, शास्त्र हुये  हैं मौन l                   

         पंथों  ने बाँटा हमें, द्वैत और अद्वैत,

      ईश्वर सत्ता ऐक है, प्राणी अब तू चेत l 

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