सद्प्रवृति अपनाये जो, उसको मिलते राम,
दुष्प्रवृति हम
छोड़ दें, बन जायेंगे काम l
राम सहायक ही रहें, पवन पुत्र हनुमान,
हम भी सेवक राम के,गायें प्रभु के गान l
राम लिखे
पत्थर सधे, लिखा गया बस नाम,
वे जिनके
भी हृदय में, रक्षक रहते राम l
राम नाम जो भी जपे, छोड़े सब छ्लछन्द,
मिलता
है सन्तोष धन, रहते वे सानन्द l
राम भक्तिमणि पास यदि,फिर क्यों करता शोक,
बिन
मांगे फल पायगा,
सुधरेगा परलोक l
राम
शरण में जो गया, हुआ वही भव पार,
शरण राम
की तुम गहो, यदि चाहो उद्धार l
भक्त शिरोमणि राम हैं, सदा भक्त पर नेह,
तुम भी
भज लो राम को, मानो निस्संदेह l
राम मर्म
को जानिये, आयेगा आनन्द,
पुलकित तन मन हो सदा,छूटेगा छ्लछ्न्द l
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