Friday, 23 September 2022

नीति दोहे

 

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     प्रेरणा ( नीति दोहे )

           मानव  की पीड़ा हरें,  वे ही पाते मान,

         सेवा धर्म प्रधान है, तब बनती पहिचान l

पौरुष शक्ति समर्थ जो,क्षमा रहे यदि पास,

निर्धन हो पर दान दे ,ईश्वर का वह ख़ास l         

        सदा ऐक रस  ही रहे, भय हो फिर प्यार,

    हानि,लाभ,जीवन,मरण, सब उसके अनुसार l

विषय भोग को छोड़ दो, क्यों करते उपभोग,

इसे जानते हैं सभी, किसे दोष दें लोग |

   डा0 हरिमोहन गुप्त

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