Sunday, 18 February 2024

 

द्वेत और अद्वेत में, फँसा आज संसार,

                  निराकार ही मान कर, भजो उसे साकार l

 

      मानो तो वह ऐक है, यह संसार असार,

      ऐसा कुछ होता नहीं, निराकार, साकार l

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