जिसकी जैसी भावना, वैसी मानो यार,
जुड़ा हुआ है भाव से, यह जीवन का सार l
किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,
लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l
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