तन मिटटी का रूप धर,करता दीप प्रकाश,
बाती जलती नेह की, अंधियारा है दास l
खाएं हरदम बाँट कर, बोलें मीठे बोल,
प्रेम सहित हम नम्र हों, धर्म कमाई तौल l
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