कैसे हम आगे बढ़ें, लगी हुई है होड़,
अपनों को पीछे करें, सब मर्यादा तोड़ l
झूठ फरेबी सब करें, छोड़ें शिष्टाचार,
चापलूस बन कर वही, करते भ्रष्टाचार l
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