Monday, 28 April 2025

कर्म प्रधान मानते जग में, वे रहते सानन्द

सिद्धि साधना में रत जो हैं, पाते परमानन्द |

जागो,उठो,बढो तुम आगे, तुम्हें लक्ष्य तक जाना,

सत्य  आचरण जो अपनाये, वही विवेकानन्द |

  

Sunday, 27 April 2025

फासला घट जायगा, हमदम बनाओ,

हो सके तो तुम किसी का गम मिटाओ |

शान्ति सुख पा जावगे यह देखना तुम,

बस  किसी के घाव पर मरहम लगाओ|

  

Saturday, 26 April 2025

 

परोपकार में जीवन बीते, जिसको मिले सुभीता,

सुख,दुःख में जो रहा एक रस, समय एक रस बीता |

संयम नियम आचरण सम हैं, उसने जग को जीता,

जो संतृप्त करे औरों को, पनघट कभी न रीता |

 


Friday, 25 April 2025

लक्ष्य  सामने  रखने वाले,कभी  नहीं रुकते हैं

जो श्रम के आदि हो जाते , कभी नहीं थकते हैं |

धीरे धीरे चलो , सामने लक्ष्य  बनाओ निश्चित

कितनी भी  कठिनाई आए , कभी नहीं झुकते हैं|

  

Thursday, 24 April 2025

यश, अपयश विधि हाथ सोच जो व्यक्ति जिया करते  हैं,

हानि, लाभ को  छोड़  व्यक्ति कर्तव्य  किया  करते  हैं |

जीवन  या फिर  मरण सदा  से  उसके  हाथ  रहा  है,

                                             सुख, दुःख में सम भाव, व्ही अमरत्व पिया करते हैं | 

Wednesday, 23 April 2025

 

चढना है पहाड़ के  ऊपर,  झुक कर चढना होगा,

अगर चाहते मंजिल पाना, रुक कर चलना होगा |

अकड़ दिखा कर जो भी चलता, ठोकर खा गिर जाता,

लक्ष्य प्राप्ति हित हो प्रयास रत, गिर कर उठाना होगा |

Tuesday, 22 April 2025

 

हमको क्या करना है जग में, लक्ष्य बनाओ निश्चित,

जीना,मरना तो  जीवन क्रम,भटके, हुये  पराजित |

आये हैं  किस हेतु  धरा पर, इस पर  करिये मंथन ,

व्यर्थ जायगा यह जीवन ही,फिर क्या मिले कदाचित |

Monday, 21 April 2025

 

हम सुधरेंगे, जग  सुधरेगा, यही  बात  है  शास्वत,

दृष्टिकोंण बदलें हम अपना, इस में है अपना  हित |

गुण अन्वेषण हो स्वभाव में, हम समाज में  जाएँ,

घृणा, द्वेष, दुर्भाव त्याग कर, खुद को करें समर्पित |

Sunday, 20 April 2025

 

जब विपत्ति आती है सिर पर,मन में चिंता, शोक,निराशा,

जब सम्पति आती है घर में, ईर्ष्या, द्वेष, मान की आशा |

तृष्णा बढती  ही  जाती  है, संग्रह को ब्याकुल होता मन,

सुख मिलना दूभर हो  जाता, धूमिल होती  है  अभिलाषा |

 

Saturday, 19 April 2025

 

दोष  दूसरों  के  मत  देखो, झाँको  अपने  अन्दर,

मिथ्या अंहकार  बढ़  जाता,क्रोध, घृणा आते घर |

देखो तुम  अपने  दोषों को, स्वयं  सुधर  जाओगे,

सामजिक  अपराधी  कोई,  दण्ड दिलाओ  जी भर |

Friday, 18 April 2025

 

जिसे भरोसा अपने पर है,वही सफल होता जीवन में,

इसे आत्मविश्वास कहा है, संयम रहता उसके मन में |

बल, पौरुष, संकल्प पास में, शक्ति आपके ही भीतर है

सभी सुलझती यहाँ समस्या, समाधान मिलता है क्षण में |

Thursday, 17 April 2025

 

                भावना  में  ही  निहित भगवान् है ,

                 ज़िन्दगी  का  साथ ही सहगान है |  
                  
दर्द  बांटे  दींन  हीनों  का  कोई ,

                  तब  कहीं मिलता उसे  सम्मान है |

Wednesday, 16 April 2025

 

                                                            जब कभी भी यदि बिगड़ते आचरण,

स्वार्थ लिप्सा का तने यदि आवरण |

तो  आज  मानव धर्म  समझाएं उसे

दायित्व है अपना, करें हम जागरण |