जब
तक हममें,
सत्य, अहिंसा, क्षमा, दया
का भाव,
धरा
पर धर्म कहाए,
विश्व
बन्धु का पाठ, परस्पर प्रीत बढ़ा
कर,
सुख
समृद्धि, शान्ति हित जीवन,
सन्तत
ऐसी फसल उगाये |
हिन्दू,मुसलमान, ईसाई,
हरिजन
को भी गले लगा कर,
कहें
परस्पर भाई भाई,
ऐसे
स्वस्थ विचार अगर जीवित हैं मन में,
तो
गान्धी जिन्दा हैं मानो,
हम
सबके ही तन में |
इसीलिए
तो शायद गांधी नहीं मरे हैं,
नहीं
मरेंगे |
युग
युग तक उनके चरणों में,
जाने
कितने शीश झुकेंगे |
डा0 हरिमोहन
गुप्त