जीवन में
संघर्ष मात्र गैरों
अपनों का,
और मरण अनबूझ
पलायन भ्रमित जनों का.
लड़ना, थकना तो घटना
क्रम है जीवन का,
बस प्रभु में
ही लीन रहे, उद्देश्य जनों
का.
कवि ही ऐसा
प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता,
वह केवल दो
शब्दों में ही, सारा जग आकर्षित करता l
कहना उसका
असरदार है,सम्मोहित हो जाता जन मन,
वेश कीमती दौलत
उसकी, सारी दुनियाँ वह खरीदता l
सरल, सरस है, और सोच में जग कल्याणी,
कोई सोचे उसे
झुका ले, वह अभिमानी l
यों तो कवि साधक, भावुक है, अपने ढंग का,
सदा सत्य का
पक्षकार, निर्मल वह प्राणी l
देश, परिस्थिति और
काल का, जिसको रहता ज्ञान,
साहस, शौर्य जगाने का ही, जो करता अभियान l
वैसे तो वह सरल प्रकृति का, प्राणी है इस जग में
कवि मिटता है आन
वान पर, यह उसकी पहिचान |
चित्र सजाता, रंग भरता अपने
ही रंग से,
दूर रहे वह, खून खरावा और जंग से l
वह कुरीतियों से
लड़ता है, स्वविवेक से,
अपनी बात सदा
रखता है, सही
ढंग से l
बच कर हम
सबको रहना है, खोद रहे जो खाई,
भारत माँ के हम
सपूत हैं, आपस में हम हैं भाई l
हिन्दू को
मस्जिद प्यारी है, मुसलमान को हर मन्दिर,
मत बांटो, हम भारत वासी,
हिन्दू मुसलमान ईसाई l
राज तिलक जब
सुना राम ने, तभी हुये वनवासी,
लक्ष्मण क्या
पीछे रह सकते, बने
राम विश्वासी l
सीता कैसे साथ
छोड़ती, सुख वैभव को त्यागा,
सुन कर राम गये हैं वन में, भरत बने सन्यासी
l