Wednesday, 22 January 2025

 

जीवन  में  संघर्ष  मात्र  गैरों  अपनों  का,

और मरण अनबूझ पलायन भ्रमित जनों का.

लड़ना, थकना तो घटना क्रम  है जीवन का,

बस प्रभु  में  ही  लीन रहे, उद्देश्य जनों का.

Monday, 20 January 2025

 

कवि ही ऐसा प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता,

वह केवल दो शब्दों में ही, सारा जग आकर्षित करता l

कहना उसका असरदार है,सम्मोहित हो जाता जन मन,

वेश कीमती दौलत उसकी, सारी दुनियाँ  वह खरीदता l

 

सरल, सरस है, और सोच में  जग कल्याणी,

कोई सोचे  उसे  झुका  ले, वह  अभिमानी l

यों तो कवि साधक, भावुक है, अपने ढंग का,

सदा सत्य  का  पक्षकार, निर्मल  वह प्राणी l

 

देश, परिस्थिति और काल का, जिसको रहता ज्ञान,

साहस, शौर्य जगाने  का  ही, जो करता अभियान l

वैसे  तो वह सरल प्रकृति का, प्राणी है इस जग में

कवि मिटता है आन वान पर, यह उसकी पहिचान |

 

चित्र सजाता, रंग भरता अपने ही रंग से,

दूर रहे  वह, खून खरावा और  जंग से l

वह कुरीतियों से लड़ता  है, स्वविवेक से,

अपनी बात सदा रखता है, सही  ढंग से l

 

Saturday, 18 January 2025

 

उद्घोषक, युगद्दष्टा, सृष्टा, जन जन की  पहिचान है,

स्वावलम्व, निर्देशक युग का, स्वर लय में सहगान है l

आजीवन निर्धन  रह कर  भी, सत्य रहा  है सम्बल,

इसीलिये युग युग से कवि को, मिला सदा सम्मान है l

Friday, 17 January 2025

 

गुण विशेष होता है कवि में,वह भरता गागर में सागर,

सरल प्रकृति का प्राणी जग में,करुणा का ही है आगर l

नहीं सत्य छोड़ा  है उसने, रही कल्पना साथ  उसी के,

इसीलिये कवि जिन्दा रहता, प्रतिभा होती सदा उजागर l

Thursday, 16 January 2025

 

राज तिलक जब सुना राम ने, तभी हुये वनवासी,

लक्ष्मण क्या पीछे रह सकते, बने  राम विश्वासी l

सीता कैसे  साथ  छोड़ती, सुख वैभव  को त्यागा,

सुन कर   राम गये हैं वन में, भरत बने सन्यासी l

Wednesday, 15 January 2025

 

देश, परिस्थिति और काल का, जिसको रहता ज्ञान,

साहस, शौर्य जगाने  का  ही, जो करता अभियान l

वैसे  तो वह सरल प्रकृति का, प्राणी है इस जग में

कवि मिटता है आन वान पर, यह उसकी पहिचान |

Tuesday, 14 January 2025

                                                        जो दिल में था, कागज पर उतारा कवि ने,

मिटे हये  हर  नक्श को  उभारा कवि ने.

इस संसार   को   श्री राम  ने सँवारा पर,

इस धरा पर श्री राम  को  सँवारा कवि ने.


Monday, 13 January 2025

 

                                           बच कर  हम  सबको रहना है, खोद रहे  जो  खाई,

भारत माँ  के  हम सपूत हैं, आपस में  हम हैं भाई l

हिन्दू को मस्जिद प्यारी है, मुसलमान को हर मन्दिर,

मत  बांटो, हम भारत वासी,  हिन्दू मुसलमान ईसाई l

 

 

राज तिलक जब सुना राम ने, तभी हुये वनवासी,

लक्ष्मण क्या पीछे रह सकते, बने  राम विश्वासी l

सीता कैसे  साथ  छोड़ती, सुख वैभव  को त्यागा,

सुन कर   राम गये हैं वन में, भरत बने सन्यासी l