जिसमें कभी बहार न आये,ऐसा मधुवन भी क्या मधुवन
अगर न अन्तर्मन ही महके,ऐसा चन्दन भी क्या चन्दन l
यों तो करता रहा सभी का,बार बार मैं ही अभिनन्दन,
यदि मेरे आराध्य न रीझें,ऐसा वन्दन भी क्या वन्दन |
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