बिन सत्संग विवेक नहीं हो, ऐसा कथन सटीक रहा है,
इसीलिये सत्संग करो तुम, “ज्ञान बिना गुरु” यही कहा है.
वह ही मार्ग प्रदर्शक बन कर, सीधी सच्ची राह दिखाता,
गुरु का उपदेशामृत पाकर, बिन प्रयास ही प्रभु मिल जाता.
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