Monday, 20 January 2025

 

कवि ही ऐसा प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता,

वह केवल दो शब्दों में ही, सारा जग आकर्षित करता l

कहना उसका असरदार है,सम्मोहित हो जाता जन मन,

वेश कीमती दौलत उसकी, सारी दुनियाँ  वह खरीदता l

 

सरल, सरस है, और सोच में  जग कल्याणी,

कोई सोचे  उसे  झुका  ले, वह  अभिमानी l

यों तो कवि साधक, भावुक है, अपने ढंग का,

सदा सत्य  का  पक्षकार, निर्मल  वह प्राणी l

 

देश, परिस्थिति और काल का, जिसको रहता ज्ञान,

साहस, शौर्य जगाने  का  ही, जो करता अभियान l

वैसे  तो वह सरल प्रकृति का, प्राणी है इस जग में

कवि मिटता है आन वान पर, यह उसकी पहिचान |

 

चित्र सजाता, रंग भरता अपने ही रंग से,

दूर रहे  वह, खून खरावा और  जंग से l

वह कुरीतियों से लड़ता  है, स्वविवेक से,

अपनी बात सदा रखता है, सही  ढंग से l

 

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