कवि ही ऐसा
प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता,
वह केवल दो
शब्दों में ही, सारा जग आकर्षित करता l
कहना उसका
असरदार है,सम्मोहित हो जाता जन मन,
वेश कीमती दौलत
उसकी, सारी दुनियाँ वह खरीदता l
सरल, सरस है, और सोच में जग कल्याणी,
कोई सोचे उसे
झुका ले, वह अभिमानी l
यों तो कवि साधक, भावुक है, अपने ढंग का,
सदा सत्य का
पक्षकार, निर्मल वह प्राणी l
देश, परिस्थिति और
काल का, जिसको रहता ज्ञान,
साहस, शौर्य जगाने का ही, जो करता अभियान l
वैसे तो वह सरल प्रकृति का, प्राणी है इस जग में
कवि मिटता है आन
वान पर, यह उसकी पहिचान |
चित्र सजाता, रंग भरता अपने
ही रंग से,
दूर रहे वह, खून खरावा और जंग से l
वह कुरीतियों से
लड़ता है, स्वविवेक से,
अपनी बात सदा
रखता है, सही
ढंग से l
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