Thursday, 2 January 2025

 

सत्साहित्य  सदा कवि लिखता, चाटुकारिता  नहीं धर्म है,

वह उपदेशक है समाज का. सच में उसका यही कर्म है l

परिवर्तन लाना  समाज में, स्वाभाविक  वाधाएं  आयें,

कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है यही मर्म है l

 

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