Saturday, 11 August 2018

फर्ज


मुर्गा जो बांग दे कर, सुबह  सबको जगाता है,
शाम को प्लेट में सजकर, सदा को सो जाता है,
उसके उत्सर्ग का यह हश्र होगा, वह क्यों सोचे ?
जगाने  का फर्ज  है उसका, वह  तो निभाता है l

Wednesday, 8 August 2018

माँ वाणी


माँ वाणी मुझ पर रखो, सदा दाहिना हाथ,
कृपा अनवरत ही रहे, सदा रहो तुम साथ l
             लेखन में गति हो सदा, ऐसा हो अभियान,
             गागर में सागर भरूँ, जग का हो कल्याण l
ऐसा कुछ मैं लिख सकूँ, जिसमें हो कुछ सार,
जन  कल्याणी  योजना,  ऐसे  रहें  विचार l
             मैं गुण गाऊँ आपके, आप गुणों की खान,
             काव्य सुधा बरसे यहाँ, बढ़ जाए मम ज्ञान l
क्या  वर माँगू  आपसे,  तुमसे  मेरा मान,
काव्य जगत में बन सके, मेरी भी पहिचान l

Saturday, 4 August 2018

श्रृद्धांजलि


राष्ट्र कवि श्री मैथिली शरण गुप्त=
सुप्त राष्ट्र जाग्रत करने में, कौन  था उनके सद्दश,
उद्घोषक, युग द्दष्टा का  ही, फैलता  जाता सुयश.
यह रहा इतिहास कवि  ही, राष्ट्र का  प्रेरक रहा है,
राष्ट्र कवि सम्मान में हम सब मनाएं “कवि दिवस”

Tuesday, 31 July 2018

कद बड़ा है आपका बस, शाम की परछाई सा


कद बड़ा है आपका बस, शाम की परछाई सा,
असलियत का तो पता, सूरज सुबह बतलायगा l
 सत्य होंगे सब उजागर, दोपहर कल  धूप में,
ध्यान से जब देखना,तो खुद समझ आ जायगा l
                ओढ़ करके यह लबादा, ढोंग का कब तक चलेगा,
                तथ्य जब होंगे उजागर, तब  पता  चल जायगा l
दाग  चेहरे  पर  लगा है, क्या पता है आपको,
आइना बस देखियेगा, खुद व खुद दिख जायगा l
                आप गदगद हैं कि शायद, आपका कद बढ़ रहा,
                दूसरे नापें  ऊँचाई,  तब  कोई   कह  पायगा l
मैं  बड़ा  हूँ, तू  नहीं है, यह लड़ाई आज भी,
सब बराबर हैं जमी पर, कौन यह समझायगा l
                पैर छू लूँगा बड़े के, स्वयम छोटा मान  कर,
                कौन है सबसे बड़ा, यह तो पता चल जायगा l
चार कदमों बाद ही, कहने लगे हम थक गये,
जिन्दगी लम्बा सफर, कैसे  कहो कट पायगा l
                 आप झुक कर तो मिलें, बस आपसे जो भी मिले,
                 आपका कद  तो  बड़ा बस, आप  ही हो जायगा l   


Monday, 23 July 2018

श्रद्धांजलि

श्रद्धेय श्री नीरज को श्रद्धांजलि


जिन्दगी  का मौत  से  ऐसा  लगाव  है,
बदले हुये  लिवास  में  आना स्वभाव है.
थककर सफर में कोई सुस्ताने लगे पथिक,
मैं  सोचता  हूँ  मौत  ही  ऐसा  पडाव  है.
                            डा० हरिमोहन  गुप्त,

Saturday, 21 July 2018

करे तीर का काम,


                      मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
                      स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम
                             धन संग्रह नहिं धर्म से, उसका करिये त्याग,
                             यथा सर्प  की  केचुली, नहीं  लगेगा  दाग l

Tuesday, 17 July 2018

अब पुराना होरहा है यह मकान


 अब पुराना हो रहा है यह मकान,
                    देखो खिसकने लगीं ईटें पुरानी,
                    झर रहा प्लास्टर कहे अपनी कहानी।
           ज रही अब मिटाने पुरानी शान,
          अब पुराना हो रहा है यह मकान।
                     जब बना था मजबूत थे सब जोड़,
                     रंग रोगन अच्छा रहा बेजोड़।
         सोचता था यह बहुत मजबूत है,
         समय से ,यह खो रहा पहिचान।
         अब पुराना हो रहा यह मकान।
                    जिन्दगी बस इसी ढ़ंग से है बनी,
                    नित नई हैं अब समस्यायें घनी।
         अमर ऐसी कोई काया नहीं,
         सामने दिख रहा, पास में शमशान।
         अब पुराना हो रहा है यह मकान।
                    फट रहे हैं वस्त्र अब वे हैं पुराने, हों नये ही वस्त्र अब मन को लुभाने।
         जो यहाँ आया, गया जगरीत यह, धन्य वह, मिले जाते समय सम्मान।
        अब पुराना हो रहा है यह मकान। 

Friday, 13 July 2018

मिले राम का धाम


राम चरण रज पा सके, कविश्री “तुलसीदास”,
चरण वन्दना हम  करें, राम  आयंगे  पास l
                    
                      रामचरित मानस लिखा, तुलसी के हैं राम,
                      गुण गायें हम राम के,मिले राम का धाम l

Wednesday, 11 July 2018

कर्म किये जा,


 धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,
अहंकार को  छोड़, छिपा यह  मर्म जिए जा.
काम, क्रोध, मद, लोभ, सदा से शत्रु रहे हैं,
फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा.

Monday, 9 July 2018

पारस मणि श्री राम


                        पारस मणि श्री राम हैं, सत्संगति संयोग,
                        कंचन मन हो आपका,करलो तुम उपयोग l
                राम नाम की ओढनी, मन में स्वच्छ विचार,
                फिर देखो  परिणाम  तुम, बहे प्रेम की धार l

                       

Thursday, 5 July 2018

जितनी कम जिसकी इच्छाएं


जितनी कम जिसकी इच्छायें, उसकी सुखी  रही है काया,

विषय भोग में लिप्त रहा जो, उसने दुख को ही उपजाया
.
सब ग्रन्थों का सार यही है, सुख दुख की यह ही परिभाषा,

तृष्णा, लोभ, मोह को छोड़ो, संतों ने  यह  ही दुहराया.

Monday, 2 July 2018

सामर्थ है तुममें


फौलाद की   चट्टान को भी फोड़ सकते हो,

कोई कठिन अवरोध हो तुम तोड़ सकते हो l

तुम युवा हो, बस इरादा नेक सच्चा चाहिये,

सामर्थ  है तुम में, हवा रुख मोड़ सकते हो l

Friday, 29 June 2018

कवि


कवि ही ऐसा प्राणी है जो, गागर में सागर को भरता
केवल वाणी के ही बल पर, सम्मोहित सारा जग करता,
सीधी, सच्ची, बातें कह कर, मर्म स्थल को वह छू लेता
आकर्षित हो जाते जन जन, भावों में भरती है दृढ़ता l

Saturday, 23 June 2018

राम कथा


राम कथा अमृत कथा, विष को करती दूर,
विषय वासना हट सके, यश मिलता भरपूर l
                  राम कथा जिसने लिखी, लिया राम का नाम,
                  राम रंग  में  रंग गया, माया का क्या काम l

Sunday, 17 June 2018

थलचर प्राणी


नभचर,जलचर, जब खेमों में नहीं बंटे हैं,
थलचर प्राणी क्यों आपस में लडे कटे हैं,
हम में हो सदभाव, सियासी दांव न खेलें,
मिल कर रहना सीख सकें हर जगह डटे हैं 

Saturday, 16 June 2018

ईद

ईद पर सभी मित्रों को  शुभ कामनाएं,
                             आपका
                              डा० हरिमोहन गुप्त 

Friday, 15 June 2018

प्रतिभा शाली


जिसकी बुद्धि प्रखर होती है,वही व्यक्ति मेधावी होता,

मेधावी  ही  आगे  बढ़  कर, प्रज्ञावान प्रभावी  होता l

अगर विवेकी बनना है तो, बस सत्संग सदा आवश्यक,

गुणी, पारखी और विवेकी, वह  ही प्रतिभा शाली होता l

Sunday, 10 June 2018

नारी की पीड़ा


जो पीड़ित हो बलात्कार से , इस में उसका दोष रहा क्या ?
कब तक वह प्रस्तरवत होगी , पूँछ रही है आज अहल्या ?

Thursday, 7 June 2018

देश जाग्रत है सदा साहित्य से,


जग प्रकाशित है सदा आदित्य से,
हम प्रगति करते सदा सानिध्य से,
कोई  माने, या    माने  सत्य  है,
देश जाग्रत  है  सदा  साहित्य  से l

Tuesday, 5 June 2018

मेरी कवितायें

जग में जो जन्मी प्रतिभायें,
उनकी हों जग में चर्चायें,
मिल पाए सम्मान यथोचित
उनके हित मेरी कवितायें

- डॉ. हरिमोहन गुप्त 

Sunday, 3 June 2018

सेवा भाव


  सेवा भाव समर्पण  ही बस, मानव की पहिचान है,
              जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
             यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता  जो उपकार सदा  ही, पाता  वह सम्मान है l

Thursday, 31 May 2018

कल किसने देखा

गद्द लेखन की तुलना में कहानी का प्रभाव अधिक होता है l कहानी पढने में और सुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है l यदि कहानी पद्द में हो तो और अधिक प्रभावी हो जाती है l
“सब सुलझ जाती समस्या , बात नानी की पुरानी
बस प्रतीकों में भले हो , एक राजा एक रानी
तथ्य के संग हो कथानक , उद्देश्य के संग कल्पना
साथ लेखक की कुशलता , तो यही बनती कहानी”
छै कहानियों को पद्द में लिखने का प्रयास है , हर कहानी कुछ न कुछ सन्देश देती है l


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जब हम रंग मंच पर जाते.


पहली बार पाँव  कँपते  हैं, जब  हम रंग मन्च  पर जाते,
किन्तु सतत अभ्यासी बन जो, कला मन्च का धर्म निभाते l
द्दढता,  साहस,  सदाचरण से, तन मन उत्साहित हो जाता,
जीवन  में  निर्भीक  रहे  जो, सदा सफलता  वे  नर पाते l

Wednesday, 30 May 2018

नारी चेतना


युग कोई भी रहा हो नारी की स्थिति बराबर की कह कर उसका शोषण ही हुआ है l पुरुषों को अधिकार है कि वह बहु विवाह कर सकता है लेकिन नारी नहीं , यदि उसके साथ बलात्कार हुआ हो तो दोष नारी का ही माना गया और उसे दण्डित भी किया गया l
इस ओर समाज का ध्यान आकर्षित करने के लिए पौराणिक पात्र ‘अहल्या’ को लेकर ‘नारी चेतना’ में विचार किया गया हैl नारी की अंतर्व्यथा पर चिन्तन, मनन और समाधान ढूँढने का प्रयास किया गया है l



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Tuesday, 29 May 2018

पाप पुन्य के गणित को,


पाप पुण्य के गणित को, समझ सका है कौन,
मन चाही  है  व्यवस्था, शास्त्र हुये  हैं मौन l 
                 
                      पंथों  ने बाँटा हमें, द्वैत और अद्वैत,
                      ईश्वर सत्ता ऐक है, प्राणी अब तू चेत l

Monday, 28 May 2018

कटा अंगूठा


   महाभारत के एक पात्र एकलव्य की गुरुभक्ति पर अधिकतर लेखकों ने लिखा है पर अँगूठा कट जाने के बाद उसकी मनः दशा क्या रही होगी इस पर लिखा यह काव्य अपना अलग स्थान रखता है l
     आज ‘अर्जुन’ , ‘द्रोणाचार्य’ सम्मान तो मिलते हैं पर एकलव्य जैसे पात्र को भी सम्मानित किया जाना चाहिए इस ओर शासन का ध्यान आकृष्ट किया है l
              “अग्रिम पंक्ति न मिल पाए बस वह तो रहा  उपेक्षित ,
              शिष्य न माना तदपि दक्षिणा, फिर क्यों रही अपेक्षित l
                             एकलव्य के प्रश्न शान्ति सुख, छीने हैं यह अनुभव,
                             अनउत्तरित यदि बने रहे तो,प्रगति नहीं है सम्भव l

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Sunday, 27 May 2018

साध्वी सीता


न्याय की आँखें नहीं , अपितु कान होते हैं वह दोनों पक्षों को सुनकर अपने विवेक से निर्णय सुनाता है , पर यदि न्यायाधीश के आँख और कान दोनों हों और घटना भी उसी के साथ की हो फिर भी वह दूसरे पक्ष को बिना सुने राज्य से निष्काषित कर दे तो न्याय को क्या कहेंगे ?
  पौराणिक, धार्मिक, आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर आधारित नारी प्रधान कथानक में नारी की स्थिति ,चित्रण, पीड़ा और उसके समाधान ढूँढने का प्रयास है l    



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कुणाल


विमाता के प्रणय प्रेम के अस्वीकार करने का दण्ड सम्राट अशोक के पुत्र कुणाल को गरम सलाखों से अपने नेत्रों को खो कर भोगना पड़ा l ऐतहासिक प्रष्ठभूमि पर आधारित सत्य घटना है, खण्ड काव्य “कुणाल,ऐक अप्रतिम त्याग” l                   
               “नेत्र दिये पर नहीं डिगा,शाशक अशोक का धन्य लाल था,
               प्रणय प्रेम वात्सल्य रूप में, बदल दिया ऐसा कुणाल था”


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Saturday, 26 May 2018

रविदास

पहले भारतवर्ष में वर्ण भेद की समस्या गुरुतर थी l शूद्र अंतिम स्वांस तक अस्पर्श्य का नारकीय जीवन जीते थे , पर 14 वीं शातब्दी के मध्य में शूद्र रविदास अग्रगण्य संतों में गिने गए l
 एक महान संत एवं कवि की गौरव गाथा एवं सन्देश , जिसने चर्मकार के घर जन्म लेकर समता का सन्देश दिया l गृहस्थ धर्म में रहकर भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया , समाज सुधार आन्दोलन को गति दी और कर्म को प्रधान माना l
       दलित वर्ग को ऊँचा उठाने और बराबर पर लाने के लिए राजनैतिक लाभ और हतकन्डो को छोड़ कर वास्तव में जिसे आवश्कता है उसकी सहायता करके उन्हें ऊँचा उठाने का प्रयास करना चाहिए तभी यह आन्दोलन सफल हो सकेगा l


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Friday, 25 May 2018

भाग्यहीन

     महाभारत में कर्ण भी एक पात्र है जिसे राजपुत्र होने पर भी शूद्र का जीवन व्यतीत करना पड़ा था क्योंकि वह कुँवारी माँ कुन्ती का पुत्र था और उसे नदी में प्रवाहित कर दिया गया था l जिसे शूद्र कुल की नारी राधा ने पुत्र मान कर पाला l
     शिक्षा गृहण के समय परुशराम से , शस्त्र प्रदर्शन के अवसर पर द्रोणाचार्य से और विवाह के लिए स्वयम्वर में राजा द्रुपद के द्वारा उसे शूद्र होने के कारण अपमानित होना पड़ा l
 
“किस घर जन्मा, किसने पाला  सूतपुत्र ही रहा विवादित,
अपमानित ही सदा रहा वह, दुर्योधन के लिये समर्पित
माँ, भाई, ऐश्वर्य, राजसुख, त्याग सभी वह दूर रहा था
दान, वीरता, शोर्य, पराक्रम, मित्र प्रेम से सभी प्रभावित” ।।


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