Thursday, 14 February 2019

बेलेन्टाइन डे


   बेलेन्टाइन डे

बेलेन्टाइन डे  मना, हो  गई  उनसे  भूल,
एक अपरचित को दिया, बस गुलाब का फूल |
            उनसे बोली वह प्रिये, बैठो मेरे पास,
            बेलेन्टाइन डे रहा, होना है कुछ ख़ास |
चलो चलें होटल प्रिये , बैठेंगे एकान्त,
बातें होंगी प्यार की, मन भी होगा शांत |
            नोट हजारा  चढ़ गया, बस  उसके  ही नाम,
            क्या करता वह विवश था, उसका काम तमाम |
घर आ कर वह सोचता, कहां हुई वह भूल,
क्यों मैंने उसको दिया, वह गुलाब का फूल |
             यद्यपि बिगड़ा था बजट, किन्तु फरवरी मास,
              दो दिन कम थे मास में, अब होता आभास |
मार्च अगर होता कहीं, तो उड़ जाते होश,
तंगी रहती तीन दिन, ठंडा  होता  जोश |


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