Friday, 12 February 2021

  

                    बेलेन्टाइन डे

बेलेन्टाइन डे  मना, हो  गई  उनसे  भूल,

एक अपरचित को दिया, बस गुलाब का फूल |

        उनसे बोली वह प्रिये, बैठो मेरे पास,

       बेलेन्टाइन डे रहा, होना है कुछ ख़ास |

चलो चलें होटल प्रिये , बैठेंगे एकान्त,

बातें होंगी प्यार की, मन भी होगा शांत |

  नोट हजारा  चढ़ गया, बस  उसके  ही नाम,

 क्या करता वह विवश था, उसका काम तमाम |

घर आ कर वह सोचता, कहां हुई वह भूल,

क्यों मैंने उसको दिया, वह गुलाब का फूल |

  यद्यपि बिगड़ा था बजट, किन्तु फरवरी मास,

   दो दिन कम थे मास में, अब होता आभास |

मार्च अगर होता कहीं, तो उड़ जाते होश,

तंगी रहती तीन दिन, ठंडा  होता  जोश |
                       डा० हरिमोहन गुप्त

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