Saturday, 20 July 2024

 

सघन वृक्ष ही सदा उखड़ते, वेत सलामत सदा रही है,

सहज नम्रता और समर्पण, कारण बनता बात सही है l

पर्वत को भी चीर सकी है, सरिता अपनी राह बनाती,

अहंकार को तजो,सफलता मिलती है,यह बात कही है l

No comments:

Post a Comment