सफल रहे यद्देश्य पूर्ण कर्तव्य तुम्हारा,
प्रगति पन्थ पर सदा बढ़े अस्तित्व तुम्हारा l
कर्म योग से यदि मानव रिश्ता जोड़ेगा,
स्वयम प्रकाशित हो जाये, व्यकित्त्व तुम्हारा l
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