Friday, 10 October 2025

                                                 सेवा भाव, समर्पण  ही  बस, मानव  की पहिचान है,

जिसको है  सन्तोष ह्रदय में, सच  में वह धनवान है l

यों तो मरते और जन्मते, जो भी आता यहाँ धरा पर,

करता  जो  उपकार सदा  ही, पता  वह  सम्मान है l

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