सेवा भाव, समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष ह्रदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते और जन्मते, जो भी आता यहाँ धरा पर,
करता जो उपकार सदा ही, पता वह सम्मान है l
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