Thursday, 30 October 2025

 

धर्म  ओढ़े  ढोंग  का  ही  आवरण,

अर्थ है निज स्वार्थ  मे  अंत:करण |

मोक्ष को तुमही बतादो क्या कहें हम,

काम का जब  कर रहे हम अनुशरण.

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