Friday, 24 October 2025

 

होड़ लगी है  आज जगत में, कैसे  हम आगे आ जाएँ,

कुचल रहे हैं  पीड़ित प्राणी, लेकिन  वे  हमको बहकाएं.

गिरते गिरते जो  भी  उठते, सच मानो  वे  आगे बढ़ते,

नहीं आदमी जो अपने हित, बहका कर जग पर छा जायें.

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