Friday, 27 October 2017

जग प्रकाशित है सदा आदित्य से

जग प्रकाशित है सदा आदित्य से,
हम प्रगति करते सदा सानिध्य से,
कोई माने, या न माने सत्य है,

देश जाग्रत है सदा साहित्य से l 
       हरिमोहन गुप्त 

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