Friday, 16 November 2018

सत्साहित्य सदा कवि लिखता,


सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,
वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है l
परिवर्तन लाना  समाज  में, स्वाभाविक बाधाएँ  आयें,
कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है l

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