Dr. Hari Mohan Gupta
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Friday, 16 November 2018
सत्साहित्य सदा कवि लिखता,
सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,
वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है l
परिवर्तन लाना
समाज
में, स्वाभाविक बाधाएँ
आयें,
कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है l
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