बना कर देह का दीपक,
जलाओ स्नेह की बाती,
मिटे मन का अँधेरा भी,
प्रकाशित हो धरा सारी |
दिवाली रोज मन जाये,
विनय है ईश से मेरी,
प्रभुल्लित आप रह पायें,
यही शुभ कामना मेरी |
जलाओ स्नेह की बाती,
मिटे मन का अँधेरा भी,
प्रकाशित हो धरा सारी |
दिवाली रोज मन जाये,
विनय है ईश से मेरी,
प्रभुल्लित आप रह पायें,
यही शुभ कामना मेरी |
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