Wednesday, 28 August 2019

सामयिक दोहे,


 (सामयिक दोहे,)
आज चाँद पर जा रहा, भारत निर्मित यान,  (सावन के पहिले सोमवार को )
अब तलाक अपराध है, महिलाओं की शान |  (सावन के दूसरे सोमवार को )
धारा  सत्तर तीन सौ, लुप्त  हुई  पहिचान,   (सावन के तीसरे सोमवार को )
सभी कार्य होते सफल, इच्छा शक्ति प्रधान | 
                काशमीर की  देख  लो, बदलेगी  तस्वीर,
                जो  दुहरा क़ानून  था,  टूटेगी   जंजीर |
सब लगाय उद्योग अब, मिले वहां पर काम,
धरती का यह  स्वर्ग है, मिले तभी  आराम |
                वहाँ जांयगे घूमने, इधर उधर से लोग,
                सैर सपाटा कर सकें, जुड़े पुन: संयोग |
पूरे  भारत  वर्ष  में,  होगा  एक  विधान,
कोई जा कर बस सके, सफल रहे अभियान |
   

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