Sunday, 1 March 2020

हमें रहना सिखा दिया,


मैं  डगमगा  रहा  था,  बहके कदम था मैं,
ऊँगली पकड़ कर आपने चलना सिखा दिया l
             मैं बेजुबाँ  ही तो रहा, मुँह में  जवान रख,
             जुल्मों सितम ने आपके,कहना सिखा दिया l
मुँह से जपे जो राम, रख कर बगल छुरी,
उस आस्तीने साँप ने बचना सिखा दिया l
             हम कौम के हैं बाद में, पहिले हैं मुल्क के,
             फिरका परस्ती हाल  ने, लड़ना सिखा दिया l
हम भाई भाई  ऐक हैं, जो आदमी बस हो,
इस विश्व बन्धु पाठ ने, पढना सिखा दिया l
             न राम कोई और हैं, न खुदा कोई जुदा,
             गीता, कुरान  ने  हमें रहना सिखा दिया l 

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