मैं डगमगा
रहा था, बहके कदम था मैं,
ऊँगली पकड़ कर आपने
चलना सिखा दिया l
मैं बेजुबाँ ही तो रहा, मुँह में जवान रख,
जुल्मों सितम ने आपके,कहना सिखा
दिया l
मुँह से जपे जो राम,
रख कर बगल छुरी,
उस आस्तीने साँप ने
बचना सिखा दिया l
हम कौम के हैं बाद में, पहिले हैं
मुल्क के,
फिरका परस्ती हाल ने, लड़ना सिखा दिया l
हम भाई भाई ऐक हैं, जो आदमी बस हो,
इस विश्व बन्धु पाठ
ने, पढना सिखा दिया l
न राम कोई और हैं, न खुदा कोई जुदा,
गीता, कुरान ने
हमें रहना सिखा दिया l
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