Tuesday, 2 June 2020

मुक्तक


     नजरों  के  पास, किन्तु किनारों की तरह,
     देख तो सकते, मगर दूर सितारों की तरह l
     स्वप्न हैं, जरूरी नहीं  पूरे  हो जायँ कभी,
      दूरियाँ, मजबूरियां हैं, जब दरारों  की तरह l

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