Dr. Hari Mohan Gupta
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Tuesday, 2 June 2020
मुक्तक
नजरों
के
पास, किन्तु किनारों की तरह,
देख तो सकते, मगर दूर सितारों की तरह l
स्वप्न हैं, जरूरी नहीं
पूरे
हो जायँ कभी,
दूरियाँ, मजबूरियां हैं, जब दरारों
की तरह l
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