जल से
सम्बन्धित सोरठा
उत्तम यही विचार, सन्चित जल को हम करें,
खोदें गड्ढे चार, वर्षा जल
उसमें भरें |
पानी है अनमोल, रक्खें इसे सँभाल कर,
आदि पुरुष के बोल, व्यर्थ नहीं बह यह |
यह जीवन का सार, पानी आवश्यक यहाँ,
भोजन भी बेकार, नहीं साथ में जल रहे |
मत कर जल बर्बाद, दुख पाओगे तुम अवश,
इतना रखना याद, जल ही जीवन है सदा |
जल बिन जैसे मीन, नहीं भूमि पर रह सके,
यह काया भी दीन, कैसे भवसागर
तरे ?
पानी रखो सँभाल, नजरों से यदि गिर गया,
समझो आया काल, बिना मौत ही वह मरा |
ऐसा करो
प्रयास, आँखों में पानी
रहे,
प्रभु जी आते पास, निर्बल को सम्बल मिले |
डा० हरिमोहन गुप्त
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