Friday, 5 June 2020

जल से सम्बन्धित सोरठा

       जल से सम्बन्धित सोरठा
  उत्तम यही विचार, सन्चित जल को हम करें,
  खोदें  गड्ढे  चार,  वर्षा  जल  उसमें  भरें |
         पानी है अनमोल, रक्खें इसे सँभाल कर,
         आदि पुरुष के बोल, व्यर्थ नहीं बह यह |
   यह जीवन का सार, पानी आवश्यक यहाँ,
   भोजन भी बेकार,  नहीं साथ में जल रहे |
          मत कर जल बर्बाद, दुख पाओगे तुम अवश,
          इतना रखना याद, जल ही  जीवन है  सदा |
   जल बिन जैसे मीन,  नहीं भूमि पर रह सके,
   यह काया  भी दीन,  कैसे  भवसागर  तरे ?
          पानी रखो सँभाल, नजरों से यदि गिर गया,
          समझो आया काल, बिना मौत ही वह मरा |
  ऐसा  करो  प्रयास, आँखों  में  पानी  रहे,
  प्रभु जी आते पास, निर्बल को सम्बल मिले |
                             डा० हरिमोहन गुप्त


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