Saturday, 17 October 2020

 

 

 

                 है नमन उनको

है नमन उनको कि जिनकी, वीरता ही खुद  कहानी,

देश हित में  प्राण दे कर, होम  दी  अपनी जवानी |

 कर्ज भारत भूमि का है, प्रथम मैं पूरा करूंगा,

माँ वचन मेरा तुम्हें, मैं लौट कर शादी रचूंगा |

पर निकट  उत्सर्ग मेरा, पुत्र तेरा  स्वाभिमानी,

माँ मुझे तुम क्षमा करना, जा रही है यह निशानी |

पापा वचन “सौ मार कर, होना निछावर देश पर,

याद  है,  मारे हजारों, कप्तान के  आदेश  पर |

किन्तु घायल हो गया हूँ, हो रही है अब रवानी,

कष्ट मुझको है नहीं अब, नींद  आयेगी सुहानी |

कह के आया, आऊँगा, इस  वर्ष  सावन  में,

सूनी कलाई जा रहा, दृढ संकल्प ले  मन में |

देश सर्वोपरि हमारा, फर्ज की कीमत चुकानी,

अब मुझे होना निछावर, वीरता मुझको दिखानी |

 कर्म पथ पर बढ़ चले जो, याद उनकी आज घर घर,

जब जरूरत आ  पड़ी तो, वे  गये आदेश  पा कर |

सुमन श्रृद्धान्जलि समर्पित, मूक होती आज वाणी,

देश पर होंगे निछावर, बस यही अब कसम खानी |

देश हित में प्राण दे कर, होम दी अपनी जवानी,

है नमन उनको कि जिनकी, वीरता ही खुद कहानी |

डा० हरिमोहंगुप्त 

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