है नमन उनको
है नमन उनको कि
जिनकी, वीरता ही खुद कहानी,
देश हित में
प्राण दे कर, होम दी अपनी जवानी |
कर्ज
भारत भूमि का है, प्रथम मैं पूरा करूंगा,
माँ वचन मेरा तुम्हें, मैं लौट कर शादी रचूंगा |
पर निकट
उत्सर्ग मेरा, पुत्र तेरा
स्वाभिमानी,
माँ मुझे तुम क्षमा करना, जा रही है यह निशानी |
पापा वचन “सौ मार कर, होना निछावर देश पर,
याद है, मारे हजारों, कप्तान के आदेश
पर |
किन्तु घायल हो गया हूँ, हो रही है अब रवानी,
कष्ट मुझको है नहीं अब, नींद आयेगी सुहानी |
कह के आया, आऊँगा, इस वर्ष
सावन में,
सूनी कलाई जा रहा, दृढ संकल्प ले मन में |
देश सर्वोपरि हमारा, फर्ज की कीमत चुकानी,
अब मुझे होना निछावर, वीरता मुझको दिखानी |
कर्म पथ
पर बढ़ चले जो, याद उनकी आज घर घर,
जब जरूरत आ
पड़ी तो, वे गये आदेश पा कर |
सुमन श्रृद्धान्जलि समर्पित, मूक होती आज वाणी,
देश पर होंगे निछावर, बस यही अब कसम खानी |
देश हित में प्राण दे कर, होम दी अपनी जवानी,
है नमन उनको कि जिनकी, वीरता ही खुद कहानी |
डा० हरिमोहंगुप्त
No comments:
Post a Comment