मात भू
मात भू के लिये हो
गये जो हवन,
उन शहीदों को मेरा
है शतशत नमन।
ज्ञात जो हैं अधिक उनसे अज्ञात हैं,
आज केवल अधर पर ही
जजवात हैं।
हैं हजारों, जिन्होंने है झेला
दमन,
उन शहीदों के मेरा
है शतशत नमन।
हम तो सोये मगर वे
जगे रात में,
हम जगे, सो गये वे मगर रात
में।
कर्ज माँ का चुकाया
हो गये वे दफन,
उन शहीदों को मेरा
है शतशत नमन।
देश सेवा ही जिनका रहा ध्येय था,
उस गुलामी में रहना
जिन्हें हेय था।
देश बलिदान हित
जिनने बाँधा कफन,
आज उन पर निछावर हैं
लाखों रतन।
हिन्द मेरा, हटो तुम ये ऐलान था,
संगठित हैं सभी, शत्रु हैरान था।
उसका पालन किया, जो दिया था वचन,
उन शहीदों को मेरा
है शतशत नमन ।
याद आती हमें उनकी कुर्बानियाँ,
अब तो घरघर बजी आज शहनाइयाँ
आज उन पर निछावर ये
लाखों हैं तन।
पुष्प अर्पित उन्हें
कब है सूना चमन।
प्रगति हेतु, जुट जायें ज्ञानी
जन।
डा० हरिमोहन गुप्त
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