सेवा भाव समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
बारम्बार प्रयास करो तो, मिले
सफलता,
चिंता और निराशा छोडो, गई
विफलता.
असफलता से विमुख न
हो,संघर्ष करो तुम,
जब अवसर अनकूल,प्रगति पर
जीवन चलता |
जब प्रताड़ित हो
कभी संघर्ष में,
या निराशा
हो खड़ी उत्कर्ष
में,
हर विफलता से न विचलित हो कभी,
तो सफलता
भी मिले अपकर्ष में |
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