Tuesday, 14 September 2021

    14 सितम्बर १९४९ को हिन्दी राष्ट्र भाषा घोषित की गई थी, पर इसे दुर्भाग्य ही माने कि सन २०२१ तक वह सम्मान जनक स्थान नहीं प्राप्त कर सकी | क्या कारण है उह सर्व विदित है कि राजनैतिक स्वार्थ आड़े आ जाते हैं |कल हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर मैनें हिन्दी दिवस से सम्बन्धित कुछ मुक्तक फेसबुक पर आप तक पहुंचाने का प्रयास किया था |     आज 14 सितम्बर  को पुन: कुछ यथार्थ लिख रहा हूँ, इसे व्यंग न मानें, विशवास है आप सभी इससे सहमत होंगे |

हिन्दी  दिवस   

    राष्ट्र  भाषा  है, मगर  क्यों  आज  है  वेबस,

    ज्ञान में अभिव्यक्ति में पीछे छिड़ी इस पर बहस |

    तीन सो चोंसठ दिनों  तो  रोंयगे  हिदी को हम,

    एक दिन है आज का हंस कर मने “हिन्दी दिवस” |

 

    आज फिर वातावरण क्यों हो रहा नीरस,

    हिन्दी तुम्हारा भाग्य है, जो मिल रहा अपयश |

    भाषणों  में  पा  रही  सम्मान, गौरव  तुम,

    औपचारिकता करें पूरी, मने “ हिन्दी दिवस” |

 

      आंग्ल भाषा एक नम्बर पर रहे, रही यह कसमकस,

      देश को तो एक रखना है, यही तो  सोचते सब |

      मिल सके बस कागजी सम्मान इस पर सोचते हैं,

      बात सत्ता  से  तो  पूंछो, चाहिए कितने  बरस ?

हम

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