Dr. Hari Mohan Gupta
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Saturday, 11 February 2017
आपका मन पवित्र हो
केवल तन ही नहीं आपका मन पवित्र हो,
आत्म नियंत्रण, परोपकार उत्तम चरित्र हो,
सुख के साथी नहीं दुःख में साथ निभायें
बस जिनके आचरण श्रेष्ठ हों वही मित्र हो
डॉ. हरिमोहन गुप्त
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