Sunday, 5 February 2017

कागज पर ही लुप्त हो गये, सारे वादे

कागज पर ही लुप्त हो गये, सारे वादे ,
और सामने केवल इनके गलत इरादे,
आदर्शों की कसमें इनकी सभा मंच तक,
अंतर मन काले हैं, ऊपर सीधे साधे l


डॉ. हरिमोहन गुप्त 

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