Dr. Hari Mohan Gupta
Pages
Home
About Me
भजन
दोहा
गीत
ग़ज़ल
इंटरव्यू
मुक्तक
पुस्तकें
Contact Me
Saturday 11 August 2018
फर्ज
मुर्गा जो बांग दे कर, सुबह
सबको जगाता है,
शाम को प्लेट में सजकर, सदा को सो जाता है,
उसके उत्सर्ग का यह हश्र होगा, वह क्यों सोचे ?
जगाने
का फर्ज
है उसका, वह
तो निभाता है l
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment