माँ वाणी मुझ पर रखो, सदा दाहिना हाथ,
कृपा अनवरत ही रहे, सदा रहो तुम साथ l
लेखन में गति हो
सदा, ऐसा हो अभियान,
गागर में सागर
भरूँ, जग का हो कल्याण l
ऐसा कुछ मैं लिख सकूँ, जिसमें हो कुछ सार,
जन कल्याणी योजना, ऐसे
रहें विचार l
मैं गुण गाऊँ
आपके, आप गुणों की खान,
काव्य सुधा बरसे
यहाँ, बढ़ जाए मम ज्ञान l
क्या वर माँगू आपसे,
तुमसे मेरा मान,
काव्य जगत में बन सके, मेरी भी पहिचान l
No comments:
Post a Comment