Dr. Hari Mohan Gupta
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Sunday, 2 September 2018
जहाँ चाह है, वहीं राह है.
इर्ष्या मन में जगे, समझ लो यही डाह है,
पाने
की
इच्छा हो मन में, यही चाह है l
प्रगति पन्थ पर बढने की जिज्ञासा मन में,
सत्य
यही
है, “जहाँ चाह है
वही राह है”l
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