सेवा भाव
समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता जो उपकार सदा
ही, पाता वह सम्मान है l
बनो कर्मठ, यही तो सब बताते हैं,
बढ़े साहस, यही गुरुजन सिखाते हैं l
वक्त पर जिनका नहीं बहता
पसीना,
मानिये वे
सदा, आँसू बहाते
हैं l
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