योग,यज्ञ,जप,तप,संकीर्तन,भजन उपासना,
सभी व्यर्थ हैं, त्यागो पाहिले अहं वासना l
अहंकार से विरत मनुज सुख पाता रहता,
तृष्णा ,ममता ,मोह सभी की नहीं चाहना l
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