कौन जानता था,कि दुश्मन पर पिघल जाओगे,
देश द्रोहियों के विचारों में ढल जाओगे |
आज क्या हो गया तुम्हें तुम्हारे साथियों को,
विशवास नहीं होता कि इतना बदल जाओगे |
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