Sunday, 10 November 2024

 

यही सत्य है, लालच संग्रह को उपजाता,

और स्वार्थ फिर चिनगारी बन उसे जलाता l

संग्रह तब फिर कहाँ रोक पाया लालच को,

यह मन भी बेकाबू हो कर उसे बढाता l

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