कुछ करना है जिसे धरा पर उसे कहाँ विश्राम,
सदा कार्यरत रहने से ही मिल सकते हैं राम l
भोतिक युग में आज व्यस्त जीवन है सबका,
इतना समय कहाँ किसको है, लेले जो हरिनाम
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