आशियाँ अपना जला कर,
कोनसा बदला लिया,
दोस्त, दुश्मन का
फरक तो,अब नजर आता नहीं l
जेवरों को क्या दिखाएँ, अब मुलम्मा
है चढ़ा,
जिन्स असली है या नकली,अब समझ आता
नहीं l लूट लें अस्मत
किसी की,या करे कोई गुनाह,
पाक दामन
ही बताएं, कोई पछताता नही l
बेबफाई हर
कदम पर ,नाम केवल
बाबफा,
राह लम्बी है डगर
की, कोई चल पाता नहीं l
पीठ पर ही वार करके,
दोस्त बनते सामने,
दर्द कितना है जखम
में, कोई सहलाता नहीं l
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