मानव की पीड़ा हरे, वह ही पाटा मान,
सेवा धर्म प्रधान है, तब बनती पहिचान.
पौरुष शक्ति समर्थ जो, क्षमा रहे यदि पास,
निर्धन हो पर दान दे, ईश्वर का वह खास.
सेवा धर्म प्रधान है, तब बनती पहिचान.
पौरुष शक्ति समर्थ जो, क्षमा रहे यदि पास,
निर्धन हो पर दान दे, ईश्वर का वह खास.
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