रावण
ईर्ष्या,द्वेष,दम्भ
धरा अगर रहेंगे,
तो फिर
अहंकार का रावण यहीं रहेगा |
शोषण,
अनाचार से जो लंका बसायगा,
व्यक्ति
स्वयं ही अपना कोष भरेगा |
पौराणिक आख्यान भले ही कथा सार हो,
यदि यह दुर्गुण हैं समाज में, तो यह मानो,
अब भी रावण जन्मेगा, हर युग में, सुन लो,
अनन्तकाल काल तक जीवित होगा,यह भी जानो |
केवल
रावण के पुतले को यहाँ जला कर,
सोचें
हम, अब हर बुराई ही मिट जायेगी,
ऐसा
भ्रम यदि हम पालेंगे, मिथ्या भ्रम है,
जिन्दा
बना रहेगा, जनता बस पछताएगी |
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