“लोक हित में ही निहित, होती सदा आराधना है,
दूसरों के कष्ट में, निज कष्ट ही सदभावना है l
दीन का दुख जान कर जो भी दुखी अन्त:करण में,
भावना उपकार की बस सरल सच्ची साधना है l
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