Sunday, 9 June 2024

 

सेवा भाव समर्पण  ही बस, मानव की पहिचान है,

जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l

यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,

                       करता  जो उपकार सदा  ही, पाता  वह सम्मान |

No comments:

Post a Comment